बुधवार, जनवरी 10, 2018

ऐण्ठ

आज प्रातः बिना नाश्ता किए, गंगानगर जाना हुआ। शिव चौक पर बस से उतरकर कृषि मण्डी में घुसते ही छोले कुलचे का ठेला था। चार कुलचों से तृप्त होकर, मैंने पैसे पूछे, उसने 15 रुपये काटकर 85 लौटाए। मैंने कहा 20 तो वाजिब ही हैं, उसने बताया - साहब मण्डी वाले पन्द्रह ही देते हैं। मैंने पाञ्च का सिक्का लौटाते हुए कहा- मैं तो बीस ही दूंगा।
बाजारवाद का करिश्मा है। स्थापित रेस्टोरेण्ट में अगर चालीस न, तो तीस तो लेगा ही।
विडम्बना है कि बाजारवाद की चकाचौंध में हम मोलभाव करने का साहस ही नहीं कर पाते, कि दकियानूसी न कहलाएं। वह सारी की सारी कंजूसी मेहनतकश और ईमानदार मजदूर पेशा पर उतारकर ऐण्ठते हैं। उसे भूखा रख कर हम कितना खुश होते हैं? पाञ्च रुपये बच गए। और उधर पचास का सिर मुण्डवाकर, शान से अपनी आधूनिकता का बखान करते हैं।
किधर जा रहे हैं हम ? ?
भूख तो सबको लगती है !!! 

मंगलवार, अगस्त 15, 2017

जनमत

आदरणीय श्रेष्ठजन व साथियो! 
आज स्वतन्त्र भारत ने सत्तर वर्ष की आयु पूर्ण कर ली है! विगत पर नजर दौड़ाएं तो हमारे लोकतन्त्र ने दुनिया के सामने बेहतरीन उदहारण पेश किए हैं! वर्ष 1999 में श्री अटल बिहारी वाजपेयी का लोकसभा में एक वोट से हारने पर पद त्याग करना, और उसी समय पाकिस्तान में, फौजी जनरल परवेज मुशर्रफ का निर्वाचित प्रधान मन्त्री नवाज शरीफ को जेल में कैद करके सत्ता पर कब्जा करना सर्वविदित है! 
विपरीत विचारधारा वाले दल की सरकार का राष्ट्राध्यक्ष होने के बावजूद, निवर्तमान राष्ट्रपति प्रणव दा ने प्रधानमन्त्री को कभी भी परेशानी में डालने का प्रयास नहीं किया! यह लोकतन्त्र की उच्चता है! 
अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता व जनमत हमारी विशेषता रही है! भूमि अधिग्रहण बिल, कश्मीर में surgical strike, विमुद्रीरकण या फिर वस्तु एवं सेवा कर ! सभी बातों पर भरपूर जनमत प्रकट हुआ है! 
लोकतन्त्र के तीनों पहियों विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका के साथ साथ चौथे पाए पत्रकारिता ने भी अपनी जिम्मेदारी बाखूबी निभाई है! 
"सब अच्छा चल रहा है!"
 ऐसा मानकर हम अपने घर में निश्चिंत बैठे रहें! 
यह अच्छा नहीं है! 
राष्ट्र की उन्नति में जनमत की भावना का परिलक्षित होना भी नीति निर्देशक का कार्य करता है! स्वतन्त्रता दिवस हो, गणतन्त्र दिवस हो या फिर राष्ट्रीय महत्व का कोई अन्य अवसर! 
हम सब उसमें सक्रिय भाग लेवें और दूसरों को भी प्रोत्साहित करें! देश के नागरिक 15 अगस्त, 26 जनवरी व 2 अक्तूबर को अपने घरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के अधिकारी हैं! महान क्रांतिकारी शहीदों को हमारी सच्ची श्रद्धांजली यही है, कि इन पर्वों को सरकारी या औपचारिकता का आवरण छोड़कर जन जन का पर्व बनावे! आप सबसे इसी आह्वान के साथ, 
जय हिंद!! 
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बुधवार, मई 17, 2017

न न, न न; न न, न न; 
मेरी बेरी के बेर, मत तोड़ो; 
कोई काँटा, चुभ जायेगा।
निषेध सदैव दुर्भावना पूर्ण नहीं होता। यह सही है कि, हमें नकारात्मक की बजाय सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। पर
पर नाराज़गी के डर से किसी की हाँ में हाँ मिलाना; यह तो चाटुकारिता कहलाती है। 
प्राणों के भय से जिस राजा का मंत्री, वैद्य और गुरु झूठ बोलें उस राजा के राज्य का; धर्म का और तन का अंत जान लेना चाहिए। 
सचिव बैद गुर तीनि जों प्रिय बोलिहिं भय आस 
राज धर्म तन तीनि कर बेगहिं होइहीं नास
   डर से, संकोच से, लालच से,हेकड़ी से  या फिर अनभिज्ञता से  भी कभी हम न की बजाय, हाँ , कह देते हैं ; तो कभी न कभी उसका खामियाजा भुगतना ही पड़ता है। न की बजाय हाँ कहना; न तो वीरता है, और न ही बुद्धिमानी। इसकी बजाय विनम्रता-पूर्वक न कह देना; निश्चय ही, हिम्मत, बुद्धिमानी  और दूर-दृष्टि है; जिससे भविष्य की कई पेचीदगियों और परेशानियों से बचा जा सकता है।
BE BOLD, IN; WHAT YOU STAND, FOR  !               1
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बुधवार, अप्रैल 19, 2017

परोसा

 विवाह व अन्य ऐसे सामाजिक समारोह में जाकर; अक्सर मैं जोकर साबित होता हूँ। जहाँ तीन चार से अधिक प्रकार के पदार्थ परोसे गए हों। वस्तुतः 'परोसे गए' गलत क्रियापद है। वर्तमान समारोहों में, भोजन परोसा नहीं जाता! 
बल्कि उठाया जाता है। 
खैर! मेरी परेशानी इससे आगे शुरू होती है। सबसे पहले fruits खा लेने के बाद कोशिश करता हूँ; 
प्लेट व चम्मच फैंकने की बजाय, 
उसमें ही दही भल्ला ले लूँ । 
या दही की कटोरी में ही,
 पानी पी लूं । 
ऐसे में, Use & throw का status simbal;
 दौना, पत्तल, पालथी, पंगत की सनातन संस्कृति के आड़े आ जाता है ! 
मेरी यह हरकत दकियानूसी ही तो मानी जाएगी। इस ख़याल से असहज हो उठता हूँ। अव्यक्त भय समाया रहता है; - 
"कोई देख न ले।" 
इस मानसिकता के चलते, 
भरी महफ़िल में, 
विदूषक सा हो जाता हूँ!  
न चाहते हुए भी, manners की लाज रखने को, आठ दस disposal प्लेट, कटोरी, चम्मच, कांटा, गिलास तो टब में; 
फैंकने ही पड़ते हैं । 
अब यह कचरा किस पशु के पेट में जाएगा ? 
या फ़िर plastic का धुंआ किसका गला रेतेगा ??
मैं क्यों सोचूं ??? 
हाँ! 
कभी कभार मौका मिल जाए, 
तो पानी की छोटी बोतल को,
 अंतिम बूंद पी लेने तक; 
जेब में डाले रखता हूँ।  
और
 प्लेट के साथ paper napkin को भी जकड़े रखता हूँ।
जकड़े ही रखता हूँ!! 
अब तक हिसाब नहीं लगा पाया हूँ! खाना खाने के लिए! 
 कितने बर्तन चाहिएं??  
 कुल कितने ??    
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शनिवार, अप्रैल 01, 2017

देर आयद دیر آید Be lated ::

न तो मुझे बैंकिंग प्रणाली का सैद्धांतिक ज्ञान है, नही मैं अर्थशास्त्री या विश्लेषक हूँ । मनमोहन जी और चिदम्बरम् साहब के आर्थिक सुधारों की विचारधारा भी अल्पबुद्धि तक नहीं पहुंच पाती है। 1972 में श्रीमती इन्दिरा गांधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया, तब मैं देहरादून में हाईस्कूल का विद्यार्थी था। ज्यादा कुछ समझ तो नहीं आया, पर उन्हें इसका जबरदस्त जन समर्थन मिला था । 
1978 में श्री मोरारजी देसाई सरकार ने 500 व बड़े नोट विमुद्रीकृत किए, तो पक्ष या विपक्ष ने ज्यादा चर्चा नहीं की थी। उसके तत्काल बाद 2 फरवरी 1978 को मैं स्टेट बैंक आॅफ बीकानेर एण्ड जयपुर की रायसिंहनगर शाखा में अस्थायी खजांची लग गया था। मुझे अच्छी तरह याद है हमारे बैंक में 1000 के 27 नोट ही जमा थे । 
अब 8 नवम्बर 2016 को श्री नरेन्द्र मोदी सरकार ने 500 व बड़े नोट चलन से बाहर किए हैं, तो आमजन ने व्यक्तिगत असुविधा झेलकर भी जबरदस्त समर्थन किया जिससे सारे राजनीतिक विरोध नक्कारखाने की तूती बनकर रह गये। 
आज शनिवार 1 अप्रैल 2017 इसी कड़ी का अगला कदम है । आज से भारतीय स्टेट बैंक के सहयोगी - 
1- स्टेट बैंक आॅफ बीकानेर एण्ड जयपुर 
2- स्टेट बैंक आॅफ हैदराबाद 
3- स्टेट बैंक आॅफ पटियाला 
4- स्टेट बैंक आॅफ ट्रावणकोर 
5- स्टेट बैंक आॅफ मैसूर  
6- भारतीय महिला बैंक 
का विलय हो हो गया है। स्टेट बैंक आॅफ इन्दौर का विलय 2008 में हो गया था । 
इस विलय के साथ ही, भारतीय स्टेट बैंक 50 शीर्ष वैश्विक बैंकों की लीग का हिस्सा बन गया है । 
यह सब संविधान लागू होने के साथ 1950 में ही हो जाना चाहिये था। नहीं तो रियासतों व राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम 1956 के समय हो जाना चाहिये था । खैर चाहे इसके कारण राजनीतिक हों, प्रशासनिक हों, या फिर आर्थिक । देर से हुआ; सही फैसला !! साधुवाद ।।। 
 देर आयद। दुरुस्त आयद।। 

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मंगलवार, फ़रवरी 28, 2017

सफ़र سفر

राजस्थान नहर परियोजना के पूर्व खण्ड श्रीविजयनगर में, शुक्रवार की उस तपती सुबह, १६ जून १९७८ को यह कल्पना न थी कि सरकारी सेवा का यह मङ्गलमय सफ़र इसी परियोजना के मुख्यालय बीकानेर पहुँचकर मङ्गलवार को पूरा होगा। 
इस दरम्यान सिंचाई के अलावा, भू अभिलेख, राजस्व, जिला प्रशासन, पटवार प्रशिक्षण, निर्वाचन, अवाप्ति, सार्वजनिक निर्माण, नगर विकास न्यास आदि, बहु आयामी पदों पर कार्य करने, तथा कानून व्यवस्था की जटिलताएं समझने व सुलझाने को भी मिलीं । दूरस्थ तहसीलों के साथ-साथ चूरू, श्रीगंगानगर, जोधपुर व नागौर में जिला स्तरीय क्षेत्राधिकार मिले। बीकानेर में सार्वजनिक निर्माण विभाग व सम्भागीय आयुक्त कार्यालय, दोनों पदों पर सम्भाग स्तरीय क्षेत्राधिकार के सौभाग्य मिले। नहर परियोजना बीकानेर का क्षेत्राधिकार तो इससे भी बड़ा तारानगर से गडरा रोड तक रहा है। 
गैरप्रशासनिक पदों पर होने के बावजूद नागौर व बीकानेर में जिला प्रशासन ने अतिरिक्त कार्यभार सौंपकर साथ जोड़े रखा। 
समीक्षात्मक दृष्टि से हिन्दुमलकोट में करगिल युद्ध के दौरान नागरिक व्यवस्थाएं, नागौर में सभी प्रकार के चुनाव व जल स्रोतों को अतिक्रमण मुक्त करवाना। हनुमानगढ़ में टाउन की गुड़ मण्डी को अतिक्रमण मुक्त करवाना। श्रीविजयनगर में गंगनहर व इन्दिरा गांधी नहर में ५२९ बीघा दोहरी कृषि भूमि का निराकरण; बीकानेर नगर विकास न्यास के अतिक्रमियों के विरुद्ध कार्यवाहियां व बीकानेर तहसील में भू प्रबंध के अधीन सम्वत् २०४५ से बकाया जमाबंदी बनवाने के प्रयास शामिल हैं । 
वास्तविक समीक्षा तो जनता ही कर सकती है। 
मङ्गल कामना सहित;  
सबको प्रणाम। शुभकामनाएं ।। अलविदा ।।। 
जी चाहे जब, हमको आवाज़ दो। 
हम हैं वहीं; हम थे जहाँ ।। 


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सोमवार, फ़रवरी 06, 2017

RIP

हिन्दुओं में शरीर नष्ट होने के पश्चात,  पुनर्जन्म की अवधारणा है। इसलिए मृत शरीर rest in peace नहीं होता। 
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय,  
नवानि गृह्णाति नरोअपराणि। 
तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यानि, 
संयाति नवानि देहि।। 
हिन्दुओं के छोटे बच्चों तथा कुछ सम्प्रदायों में बड़ों को भी दफनाया तो जाता है, किन्तु शरीर को विनाशी व आत्मा को अविनाशी मानते हैं । 
 वे अहिन्दु RIP कहते हैं, जो धार्मिक स्तर पर मानते हैं कि:- 
 मृत्यु के बाद, कब्र में सुरक्षित रखा शरीर किसी दिन जीवित हो जाएगा, तब तक (RIP) शान्ति पूर्वक आराम करो। 
 हिन्दु शरीर व आत्मा को अलग अलग मानते हैं । शरीर नश्वर मानकर नष्ट किया जाता है। 
आत्मा अनश्वर होने से उसके लिए :- 
 शान्ति, 
मोक्ष, 
 या फिर श्रेष्ठ जन्म 
की कामना की जाती है। 
अहिन्दु सुरक्षित रखे गए मृत शरीर के लिए कामना करते हैं :- 
 Rest In Peace 
हिन्दु शरीर के लिए नहीं बल्कि आत्मा के कल्याण की प्रार्थना करते हैं । 
 हिन्दुओं का शरीर नष्ट होने से RIP नहीं होता ।


बुधवार, नवंबर 09, 2016

कठिन निर्णय

बड़े नोटों का विमुद्रीकरण साहसिक निर्णय है। क्रियान्वयन में कठिनाईयां तो आएंगी ही। शल्यक्रिया का दर्द तो सहना ही पड़ेगा। कठिन निर्णय लेना, जितना कठिन होता है, उस पर टिके रहना उतना ही दुष्कर होता है। 
मेरा मानना है कि इससे:- 

1- आम जनता की भलाई में, मंहगाई कम होगी । 

2- 1000 व 500 के नकली नोट जो छप चुके हैं या छपने वाले हैं, चल नहीँ सकेंगे । 

3- कालाबाजारी से इकट्ठा किया बेहिसाबी धन, चल नहीँ सकेगा । 

4- जमाखोरों का माल, ऊंचे दाम पर नहीँ बिकेगा । 

5- दो नम्बर वालों के पास धन न होने से, अनाप शनाप खरीद नहीँ कर सकेंगे। 

6- धन की मनमर्जी रूकने से, जरूरतमंद को सरलता होगी । 

7- सटोरिये दलाल property dealers, Chit fund,  या बाकी ऐसे बेईमान जो, भोली जनता के अरबों खरबों रुपये डकार गये, सब कंगाल हो गये । 

8- भ्रष्टाचारियों के कमरों में भरी नोटों की बोरियां, नाकाबिल हो गईं। 

9- आगामी चुनावों में, एक बार तो धन का प्रभाव नहीं रहेगा ।

घर की मरम्मत करने में, सामान तो बिखरेगा ही। कुछ टूट फूट होना भी स्वाभाविक है। 
विमुद्रीकरण के कायाकल्प की सामाजिक लागत तो हमें चुकानी ही पड़ेगी।
 8 नवंबर 2016 मङ्गलवार रात्रि को प्रधानमंत्री जी ने जो कड़वी औषध पिलाई है, वह अरुचिकर होने के बावज़ूद, देश के लिए मङ्गलकारी हो, यही प्रार्थना है:- 
तेरा मङ्गल, मेरा मङ्गल। 
सबका मङ्गल होय रे।। 


सोमवार, अक्तूबर 31, 2016

सरकार में सरकार

दीपावली के तीन दिन जिला अस्पताल हनुमानगढ़ टाउन में रहने के दौरान एक बात अखरी, कि नर्सिंग स्टाफ इस बात से विवश है कि मरीज का भामाशाह कार्ड दर्ज करें । सभी सरकारी लाभ या अनुदान सहायता की योजनाएं इसी माध्यम से जुडे़ंगी। कल्याणकारी राज्य की अवधारणा में, यह दृष्टिकोण सही हो सकता है। इससे पूर्व भारत सरकार आधार कार्ड की विचारधारा लागू कर चुकी है, जिसका मामला उच्चतम न्यायालय तक हो आया है। इससे भी पहले वर्ष 1990 में, पठानकोट काण्डला राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 15 के पश्चिम में पंजाब, राजस्थान व गुजरात में सीमावर्ती क्षेत्र के नागरिकों को परिचय पत्र देने का कार्य जितना तेज शुरू हुआ, उतना ही टांय टांय फिस्स हुआ। सरकार में सरकार और फिर सरकार एक ही उद्देश्य के लिए, तीन अलग अलग निवेश। देखते हैं, कामयाबी का सिलसिला कहां सिरे चढ़ता है । 

शुक्रवार, अक्तूबर 14, 2016

सत्य है

सर्वविदित सत्य है कि:- 
१- राजस्व मण्जल ने १२ अक्तूबर को जारी, ताबदला सूचियों में पिछली तारीख १० लिखी है! 

२- जिला कलक्टरों व उपनिवेशन/ भू प्रबंध आयुक्त के प्रशासनिक पत्रों की अनदेखी की गई है!

 ३- यह भी सही है, कि ९०% तबादले राजस्व मन्त्री स्तर से दलाली से हुए हैं! 

 ४- दिनांक २ अक्तूबर की जयपुर बैठक में मैंने कहा था- 
हमें अपने गिरेबान में झांकने की आवश्यकता है!   

५- राजस्व मण्डल की :-
 फूट डालो, राज करो नीति उजागर हुई! 

६-  मण्डल के लिए डूब मरने की बात है! कि वह आयुक्त / जिला कलक्टर जैसे प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा करता है! 

७- भ्रष्टाचार ऊपर से ही शुरू होता है! 

८- निश्चय ही यह अराजकता है! 

# क्षमा याचना सहित * 

बुधवार, अक्तूबर 12, 2016

नमस्ते जी

नमस्ते जी ! 
 बीकानेर जिले में मेरा पहला ही कार्यकाल है, सौभाग्यवश मूल पद सार्वजनिक निर्माण विभाग के साथ साथ, आठ माह नगर विकास न्यास, तीन माह जिला भू अभिलेख व  पाँच माह तहसील बीकानेर में कार्य करने का सुअवसर मिला! जिला प्रशासन ने भरोसा करके, अतिरिक्त उत्तरदायित्व सौंपे, इसके लिए आभारी हूँ! 
विशेषतः तहसील बीकानेर में, उपखण्डाधिकारी श्री नानूराम सैनी, अतिरिक्त कलक्टर श्री हरिप्रसाद पिपरालिया व जिला कलक्टर श्री वेद प्रकाश जी, मुझे प्रोत्साहित करते रहे, जिससे आत्मनिरीक्षण कर सका! 
उत्साहित हूं कि सिंचाई विभाग से सेवा शुरू की थी, फिर से वहां जा रहा हूँ! 
आभारी हूं कि 9 अप्रेल 2014 से अब तक अढाई वर्ष में, सा नि वि के अभियंतागण ने हमेशा सहयोग किया! 
बीकानेर तहसील में व्यस्ता के बावजूद पाँच माह सुगमता से बीत गए, इसका श्रेय पटवारियों निरीक्षकों व तहसील के स्टाफ को है! कार्य की समीक्षा तो जनता ही करेगी! 
पूर्णतः प्रसन्नचित जा रहा हूँ! 
नमस्ते!
पानी बहता भला! 
जोगी रमते भले !! 

शनिवार, अगस्त 20, 2016

ऐसा भी

कल शुक्रवार 19 अगस्त 2016 को पुलिस ने समस्तीपुर (बिहार) निवासी महिला वेशधारी, एक पुरुष आरोपी पेश किया! 
आरोप था :- ट्रक ड्राईवरों को रोककर झगड़ा करना! 
मैंने आरोपी से परिवार की बातें, बीकानेर आने, रोजगार, निवास, महिला वेश धारण करने व झगड़े का कारण जानने का प्रयास किया! उसने शब्दों में तो नहीं कहा; उसकी दयनीय हालात और बेबस वाणी से साफ हो गया कि कारण है:- 
भूख
मैं स्वयं न्याय की कुर्सी पर बैठा निर्णय नहीं कर पा रहा था! बड़ी बेबसी से उसे जेल भेजा, शायद कुछ दिन उसकी भूख शांत रहे  ? 
सोचता हूँ, 
क्या यही है, हमारी सामाजिक आर्थिक स्वतन्त्रता ?  ? 
क्या हम वाकयी विकसित राष्ट्र होने की कतार में हैं ?  ?  ?
क्या वाकयी हम न्याया की कुर्सी पर बैठने के पात्र हैं ?  ?   ?  ?  

अशोक कुमार खत्री,
तहसीलदार एवं
कार्यपालक मजिस्ट्रेट, बीकानेर

शनिवार, अगस्त 13, 2016

भटनेर का सूरज

डूब गया भटनेर का साहित्यिक सूरज

हिंदी और राजस्थानी के प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री ओम पुरोहित "कागद" का कल सांय टिब्बी हनुमानगढ मार्ग पर सड़क दुर्घटना में देहान्त हो गया! टाऊन अस्पताल से श्री गंगानगर इलाज हेतु ले जाते समय लालगढ छावनी के पास रात्री 9:30 पर उन्होंने अन्तिम सांस ली! वे हनुमानगढ में शैक्षिक प्रकोष्ठ अधिकारी थे! 
कुछ वर्ष पूर्व ऐसी ही सड़क दुर्घटना में, उनका युवा पुत्र चल बसा था! ग़मगीन होकर भी कैसे मुसकुराते हैं, यह मैं कागद जी से सीख पाया:- 
तुम इतना क्यों मुसकुरा रहे हो! 
क्या  ग़़म है, जो छिपा रहे हो !! 
मानवीय मूल्यों और सामाजिक संसकारों को महत्व देने वाले, सौम्य मुसकान के धनी कागद जी, घग्घर नदी, कालीबंगा सभ्यता व भटनेर दुर्ग को लेकर हनुमानगढ का गौरव स्थापित करने के साथ साथ राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल करवाने को प्रयासरत् रहे हैं! मरुधरा साहित्य परिषद के माध्यम से उन्होंनेे अपने चारों ओर, पौध पल्लवित की! 
बादळां नै, 
फुरसत हुवै तो,
 अठै बरसै ! 
बठै लोग डूब रैया है, 
अठै लोग तरसै !! 
वट वृक्ष अपनी छाया में छोटे पौधों को पनपने नहीं देता! 'कागद' ने इस अवधारणा को बदल डाला! यह उनकी उदारता और असीम धैर्य ही है, कि मुझ जैसे गैर साहित्यिक को भी उन्होंने अपने समूह में स्थान दिया! 'कागद' के वट वृक्ष का रिक्त स्थान तो नहीं भर पाएगा! कागद के बिना तो, शब्द कैसे लिखे जाएंगे?  मरुधरा साहित्य परिषद् हनुमानगढ, सृजन सेवा संस्थान श्री गंगानगर और मायड़ भाषा सभी  . स्तब्ध .  .  . अवाक् हैं! . हे .  . राम . . . !!  .  .  . क्या .  .   हो .  .   .गया .  . ? 
मुळकता आवै कागद सा नै घणी घणी मनुआर !! 
हम छोड़ चले हैं, महफ़िल को !
याद आए कभी तो  मत रोना !! 


मंगलवार, अगस्त 02, 2016

दलित

प्रबुद्धजन सादर वन्दे ! 
मेरे विचार से हम इस भ्रांति को त्यागें, कि "दलित" शब्द जातिगत विशेषण है! 
मेरी दृष्टि में यह घटना प्रधान विशेषण है, जिसे राजनीतिक स्वार्थों ने जन्मजात बना दिया है! 
मैंने पीड़ितों को निकट से देखा और महसूस किया है! चाहे वे किसी भी जाति या धर्म के रहे हों, सुबह से शाम तक भूखे प्यासे गर्मी सर्दी बरसात में, तहसीलदार या थानेदार का इन्तजार करते! 
फ़िर यह फ़िक्र कि आज साहब न मिले, तो कल की मजदूरी भी नहीं आएगी ! उनकी सिफ़ारिश सिर्फ़ साहब के अलावा दूसरा कोई नहीं होता! फ़िर मेरे जैसा कोई नालायक तहसीलदार खुद अपनी सिफ़ारिश मानने की बजाय, उस पीड़ित को फ़िर कभी आने का कहकर, टाल देता है! और कल, कल ही रहता है, आज नहीं बनता! 
क्या वस्तुत: हम न्याय की कुर्सी पर बैठने के हकदार हैं? जरा हम सोच लें !! 

शनिवार, अप्रैल 09, 2016

भूख

आज   सुबह  जोधपुर  नई  सड़क   से  HIGH COURT पैदल  जाते  हुए ; उम्मेद  उद्यान  के  पास  HOTELS' रसोई  का  WASTAGE पड़ा   था . उस  के  पास  बैठा  एक  आदमी  उस  में  से  उठा उठा  कर  रोटी  सब्जी  के  टुकड़े  खा  रहा  था . मेरा  जी  मितलाने  लगा , उल्टी  आने  को  हुई . लगभग  100 मीटर  जाते  जाते  मेरी  आँखों  में  आंसु  आ  गए . मैं  जी  कड़ा  कर  के  वापस  लौटा ,  उसे  10 का  नोट  दिया ; उसने  निर्विकार  भाव  से , ले  लिया . मैं  HIGH COURT चला   गया ; जी  बहुत  ख़राब  था ; और  बार  बार  प्रभु  से  प्रार्थना  करता  रहा - इस  वक़्त  मेरे  खाते  में  कोई  पुण्य  हो  तो  उसे  दे  दो ¤
सोच  रहा  हूँ ;  शायद  भूख  भी , ज़िन्दगी  का  ही   हिस्सा  है .
ज़िन्दगी  कैसी  है  पहेली ? 
 कभी  ये  हंसाये  ! 
कभी  ये  रुलाये  !!  
   LET WE THINK;
 IS IT A HAPPY DIPAWALI ?
जय हिंद
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शुक्रवार, मार्च 25, 2016

असहिष्णुता

"असहिष्णुता" नामक जीव बेचारा अब कुछ पनपने लगा है! Intolerance का तो पता  नहीं, पर असहिष्णुता से मेरा  वास्ता तो १९६८ से  चला आ रहा है!  चार उदहारण पेश हैं:-
१- १९६८ से ७० तक  रायसिंहनगर रामलीला में सरदारगढ़ का कोई बाकर अली और उसका सरदार दोस्त एक दूसरे के नाम पर रुपये लुटाते थे!
२- १९७० से ७४ तक डोईवाला (देहरादून) में हमारे अँग्रेज़ी के अध्यापक हसीन अहमद साहब का जबरदस्त होली खेलना! 
३- १९८६ से ९५ तक श्रीगंगानगर में सिराजुद्दीन भाई और फरीद खान साहब PRO के साथ होली का हुड़दंग; और बकरीद हो या मीठी ईद!  सिराज साहब के घर ही खाना खाना!
४- २०१२ से १४ श्रीविजयनगर तहसील में मुज़फ्फर अली  सिक्ख गुरुओं व हिँदु धर्म की बारीकियों पर अक्सर चर्चा करता रहता था!
और इन सब पर भारी वह लड़की मरियम सिद्दिकी, जिसने श्रीमद्भागवद्गीता का गहन पाठ करके ईनाम जीत लिया है!
ऐसे ही लोग तो बेचारी असहिष्णुता को पनपते नहीं देते!
खुदा सबको सद्बुद्धि दे!  
Ashok Kumar khatri, LAO PWD Bikaner 334001


बुधवार, मार्च 16, 2016

फिर बीकानेर


बीकानेर जिले में तहसीलदार भू अभिलेख का अतिरिक्त कार्यभार इस आशा और विश्वास के साथ ग्रहण कर रहा हूँ, कि:- 
1- जिले के पटवारी/ भू अभिलेख निरीक्षकों के सेवा मामलों को सुलझाना है!
2- जिले का भू अभिलेख सही व आद्यतन करवाना है!
3- काश्तकारों की व्यवहारिक समस्याओं का समय पर हल करवाना है!
जिले के Field staff से सहयोग की प्रार्थना करता हूँ! 
परम पिता परमेश्वर से प्रार्थना है, कि मनोबल बनाए रखे
Ashok kumar khatri, 
LAO PWD Bikaner 334001 

मंगलवार, मार्च 01, 2016

धन्यवाद बीकानेर

१४ जनवरी २०१५ बुधवार को नगर विकास न्यास Urban Improvement Trust बीकानेर के विशेषाधिकारी पद का अतिरिक्त कार्यभार ग्रहण किया था; दुर्भाग्यवश तीन दिन बाद  शनिवार १७ जनवरी को पक्का सारणा के पास  सड़क दुर्घटना में; मैंने अपना पुत्र, भतीजी और छोटे भाई की पत्नी को खो दिया; मैं स्वयं और पत्नी चोटिल हुए; वह अभी तक चल पाने में असमर्थ है.  
२३  जून २०१५ को दुबारा से UIT का कार्य  संभाला; यहाँ बिलकुल अलग प्रकार की चुनौती और अनुभव रहा. विशेष यह रही; कि UIT के नियमित स्टाफ को मेरी कार्यप्रणाली पसंद नहीं आई; किन्तु मैं आदत से मजबूर हूँ; इसलिए अपनी कार्यप्रणाली बदलने में असमर्थ रहा; इस अवधि में कितने लोगों के खिलाफ फैसले किये; कितने कब्जे हटाये; कितने नहीं हटा सका; कितना गलत किया; कितना सही; यह सब समीक्षा बीकानेर के प्रबुद्ध नागरिक ही कर सकेंगे;  इतना ज़रूर है, कि इस दरम्यान प्रभावशाली किस्म के काफी लोग मुझसे खफा भी हो गए; कि मैंने उनकी बात को तवज्जो नहीं दी, धमकियाँ  भी मिलीं और एक मामले में मैंने माननीय लोकायुक्त को शिकायत भी भेजी  है; 
आज इस पद को छोड़ते हुए मैं अपने आप से  पूर्णतः संतुष्ट हूँ  ! ईश्वर मुझे सद्बुद्धि दे;  मनोबल बनाये रखे !  
बीकानेर के नागरिकों ने मुझ पर भरोसा किया; इसके लिए आभारी रहूँगा ! 
  ASHOK KUMAR KHATRI ; 
LAND ACQUISITION OFFICER ,
PWD BIKANER 334001  

बुधवार, अप्रैल 09, 2014

अलविदा श्रीविजयनगर


मित्रो 31 अगस्त 2012 शुक्रवार सांय 5 बजे तहसीलदार श्रीविजयनगर की कुर्सी पर बैठने के बाद; सबसे पहले  1 सितम्बर शनिवार सुबह तहसील वासियों से एक वायदा किया था जो हू-बहू इस प्रकार है _
http://apnykhunja.blogspot.in/2012/09/commitment.html
I COMMIT MY SELF FOR WELFARE OF ALL THE LIVINGS WITHIN THE BOUNDARY OF TEHSIL SRIVIJAYNAGAR; 
I  AM RESPONSIBLE TO LISTEN AND HELP THEM. I FEEL MY ACCOUNTABILITY TO GOD.
MAY ALMIGHTY GOD SHOW ME THE PATH OF JUSTICE, HUMANITY & KINDNESS
२७ मार्च, २०१४ को तहसीलदार विजयनगर का पद छोड़ते  तक, वायदा कितना निभा पाया; यह समीक्षा तो तहसील की जनता ही कर सकती है ! 

आज बुद्धवार ०९ अप्रैल, २०१४ को भूमि अवाप्ति अधिकारी, सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD), बीकानेर का पद ग्रहण करते हुए, फिर से अपने-आप को बाँधता हूँ, कि बीकानेर सम्भाग की जो सड़कें, अभी तक मौके अनुसार, राजस्व अभिलेखों और नक्शों में सही दर्ज नहीं  हो पाई  हैं; उन्हें आदिनांक करवा सकूँ! 
मुझे विश्वास है, कि विभाग के अभियंतागण, सम्भाग के समस्त तहसीलदार / ILR /पटवारी औऱ सम्बंधित कृषक सहयोग करेंगे !!! 

Ashok, Land Acquisition Officer , PWD, Bikaner 334001
 9414094991



जयहिंद جیہینڈ  ਜੈਹਿੰਦ 
Ashok 9414094991, Land Acquisition Officer , PWD, Bikaner 334001 
http://www.apnykhunja.blogspot.com/  http://www.apnybaat.blogspot.com/;
 http://www.apnyvaani.blogspot.com/;       www.apnykatha.blogspot.com;
 My Location at Globe 73.5178 E; 29.2406 N
My Location Tehsildar's residence Srivijaynagar 335704, at Globe 74.2690 E; 29.6095NCommitment

बुधवार, मार्च 12, 2014

प्यासे-पँछी


Photo: यदि हो सके तो घर के बाहर या आसपास थोडा पानी प्यासे परिंदों और राहगीरों के लिए रखिये ! पुराने घड़े भरने में आप का सिर्फ दस मिनट जायेगा लेकिन किसी सूखे कंठ को "जीवन" मिल सकेगा ! ये कोई एहसान नहीं आप की ज़िम्मेदारी है ,आप नहीं करेंगे तो वो करेगा जिस पर सब की ज़िम्मेदारी है ! हाँ आप जब-जब खुद को इंसान कहेंगे तो आप का ज़मीर आप पर हँस जरुर दिया करेगा ! 
"ये भूख-प्यास-तलब जिसकी है मेहरबानी,
उसी का काम है सब को मिले दाना-पानी ....."
गर्मी के मौसम में   पक्षी प्यास से मर जाते  हैं; पक्षी  के हमारे जीवन के अभिन्न अङ्ग, और प्राणी-जगत के महत्वपूर्ण सदस्य हैं; पर्यावरण संतुलन में इनकी महती भूमिका है; इन्हें घोंसला, चुग्गा,भूख, प्यास,  छाया, तथा आक्रमण आदि विकट समस्याओं से झूझना पड़ता है; 

मानव-जनित शोर, GLOBAL WARMING; प्रदूषण, भी हमारे समाजही  के नकारात्मक पक्ष हैं; हमने अपने जल-स्रोत्र, वन-सम्पदा, पर्वतीय आश्रय नष्ट करने में भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है; पक्षियों के लिए प्राकृतिक आश्रय-स्थल नहीं बचे हैं; हैम इनके शिकारी और हत्यारे हैं ; 

आओ हम सब मिलकर प्रकृति के इन साथियों को बचाने का संकल्प 



करें _ 1. पक्षियों के लिए चुग्गा डालें !


2. छिड़कियों, दालान, TERRACE, 
BALCONY, छत आदि स्थानों पर पानी रखें !! 


3. पौधरोपण एवं उनका पालन करें !!!



4. कोलाहल  नियंत्रित करें !!!!

5.इन प्राणियों के मित्र बनें !!!!!

हम सुहृदय बनें और आज होली के पावन पर्व पर, स्वर्गीय सुनील दत्त साहब और नूतन द्वारा फ़िल्म "ख़ानदान " में दिए सन्देश को आत्मसात करें  :
नील गगन में उड़ते पँछी जा जा जा   !

देख अभी है , कच्चा दाना, पाक जाये तो खा !!


सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे  सन्तु निरामया; 
मा कश्चित् दुःख भागभवेत्  !! 

Jai Hind !!! 
यदि हो सके तो घर के बाहर या आसपास थोडा पानी प्यासे परिंदों और राहगीरों के लिए रखिये ! पुराने घड़े भरने में आप का सिर्फ दस मिनट जायेगा लेकिन किसी सूखे कंठ को "जीवन" मिल सकेगा ! ये कोई एहसान नहीं आप की ज़िम्मेदारी है ,आप नहीं करेंगे तो वो करेगा जिस पर सब की ज़िम्मेदारी है ! हाँ आप जब-जब खुद को इंसान कहेंगे तो आप का ज़मीर आप पर हँस जरुर दिया करेगा ! 
"ये भूख-प्यास-तलब जिसकी है मेहरबानी,
उसी का काम है सब को मिले दाना-पानी ....."
Askhok, Satureday 29.05.2010 19.26 IST

                                                         
                                                                                                            
Location Tehsildar's residence Srivijaynagar 335704, at Globe 74.2690 E; 29.6095N
https://www.youtube.com/watch?feature=player_detailpage&v=O61ARzjYKnY#t=21http://apnykhunja.blogspot.in/2010/05/save-birds.html